पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अनुपालन में एकरूपता और नियामकीय सुनिश्चितता लाने के लिए ‘अप्रकाशित कीमत संवेदनशील सूचना’ (यूपीएसआई) की मौजूदा परिभाषा में बदलाव का बृहस्पतिवार को प्रस्ताव रखा. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने यह प्रस्ताव कुछ घटनाओं को यूपीएसआई के रूप में चिह्नित करने के इरादे से रखा है. सेबी ने यह कदम यूपीएसआई के रूप में वर्गीकृत सूचनाओं के संदर्भ में कानून की भावना के अनुरूप अनुपालन नहीं होने का मामला संज्ञान में आने के बाद उठाया है.
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में ‘अप्रकाशित कीमत संवेदनशील सूचनाओं’ की परिभाषा बदलने का सुझाव देने के साथ ‘सूचीबद्धता दायित्व एवं खुलासा शर्तों’ (एलओडीआर) के नियम 30 के तहत जरूरी प्रकटीकरण को इसमें शामिल करने की बात कही है.
एलओडीआर के नियम 30 के तहत सूचीबद्ध कंपनियों को सभी भौतिक एवं संभावित घटनाओं की सूचना शेयर बाजारों को 24 घंटे के भीतर देनी होती है. इन घटनाओं में अधिग्रहण, समझौता, फर्जीवाड़ा या प्रवर्तकों के स्तर पर चूक के अलावा निदेशक समेत प्रमुख प्रबंधकीय पदों में होने वाले बदलाव भी शामिल हैं. इसके अलावा प्रतिभूतियों में किसी बदलाव, रेटिंग में संशोधन और फॉरेंसिक ऑडिट शुरू होने की जानकारी भी देनी जरूरी होती है.
इस नियम के मुताबिक, हरेक सूचीबद्ध कंपनी को निदेशक मंडल की बैठक में लिए गए फैसलों, वित्तीय परिणामों और स्वैच्छिक रूप से सूचीबद्धता हटाने जैसे कदमों के बारे में बैठक खत्म होने के 30 मिनट के भीतर जानकारी देनी होती है.
सेबी ने यूपीएसआई की परिभाषा में प्रस्तावित बदलाव के बारे में दो जून तक सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित की हैं.
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